
प्रस्तावना
पिछली सदी के आरंभ में व्यावसायिक कारणो से गुजराती भाषी लोग अमरावती में आकर बसे| गुजराती भाषा और संस्कृति के जतन के लिये गुजराती स्कूल की आवश्यकता महसूस हुई | अमरावती के शिक्षण प्रेमी एवं जागरूक गुजराती महानुभावों के प्रयत्न से सन १९३६ में गुजराती एज्युकेशन सोसायटी की स्थापना की गई तथा आर.एम. भट्ट मिडल स्कूल के माध्यम से कक्षा ५ से ८ तक की शिक्षा गुजराती माध्यम से दी जाने लगी | सन १९४५ में ‘मणीबाई गुजराती हायस्कूल’ के नाम से इसका रूपांतर हुआ | आगे चलकर गुजराती के अतिरिक्त हिन्दी और मराठी माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की गई | अपने कुशल व्यवस्थापन, शैक्षणिक स्तर और अनुशासन के फलस्वरूप थोड़े समय में विद्यालय ने जनमानस में विशेष स्थान बना लिया | सन १९७५ में नई शिक्षा प्रणाली में ज्युनिअर कॉलेज की शुरूवात हुई और ज्युनियर कॉलेज ‘श्रीमती सुलोचनाबेन त्रिकमदास कापडिया गुजराती ज्युनियर कॉलेज’ के नाम से शुरू हुआ |
केवल ३० विद्यार्थी और दो शिक्षक के साथ गुजराती भाषी विद्यार्थियों की शिक्षा के लिये स्थापित स्कूल आज एक विशाल वृक्ष का स्वरूप धारण कर चुकी है | जहॉं आज २५०० से अधिक विद्यार्थी धर्म, जाति और प्रदेश के भेदभाव बिना शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं | विद्यालय का बहुभाषीय एवं बहु माध्यमिक स्वरूप सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकात्मता का प्रतीक है |